सेवा ही संकल्प, जीवन का मूल मंत्र
देश की राजधानी दिल्ली के गाँव सराय जुलैना के संयुक्त हिन्दू परिवार की परवरिश, पारिवारिक संस्कारों व शिक्षा से “सेवा ही संकल्प” जीवन का मूल मंत्र बन गया ।
संयुक्त परिवार की सांस्कृतिक परम्पराओ से सीखा की हम एक दूसरे के प्रति जिम्मेदार होते हैं और एक दूसरे के साथ बड़ी बड़ी जिम्मेदारियों को साझा करते हैं , संयुक्त परिवार के मूल्य से ही एक दूसरे के साथ मजबूत संबंध बनाना सीखा । ग्रामीण समाज की परम्पराओ व संयुक्त परिवार की शिक्षा ने ही समाज के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास करवाया ।
शिक्षा के प्रारम्भिक समय में 14 वर्ष की आयु में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़ कर जनसेवा के लिए जीवन समर्पित कर दिया । जन सेवा की प्रेरणा मुझे मेरे स्वर्गीय मामा जी डॉक्टर हरिशंकर देव शर्मा जी से मिली । पिताजी से बाल्यकाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा मिली । राष्ट्रवादी विचारधारा के मार्ग पर चलते हुए ही नर सेवा नारायण सेवा की सोच के साथ ही सेवा ही संकल्प को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया ।
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Renewable Energy
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भारत, हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक गर्व और अद्वितीय ज्ञान परंपराओं के साथ एक महान राष्ट्र है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि हम अपने देश की पुरानी जड़ों को सम्मानित करते हुए आधुनिकता के साथ मिलकर काम करें, तो हम भारत को फिर से एक वैश्विक गुरु बना सकते हैं।
भारत को एक सशक्त, प्रौद्योगिकी-समर्थित और समृद्ध राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने होंगे। यह केवल आर्थिक विकास के बारे में नहीं है, बल्कि मानवता की सेवा में भारत की पुरानी भूमिका को फिर से जीवित करने का समय है।
मेरे दृष्टिकोण में, हमें न केवल अपनी आंतरिक क्षमता को पहचानने की जरूरत है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने विचार, संस्कृतियों और नवाचारों के माध्यम से दुनिया के सामने एक नई दिशा प्रस्तुत करनी होगी। मैं दृढ़ संकल्पित हूं कि भारत को सबसे आगे ले जाने के लिए मैं अपने प्रयासों से इसमें योगदान करूंगा और इसके लिए कड़ी मेहनत करूंगा।
“भारत को एक ज्ञान और नेतृत्व का केंद्र बनाना, यह मेरा सपना है, और इसे वास्तविकता में बदलने के लिए मैं हर संभव कदम उठाऊंगा।”
मेरे जीवन का उद्देश्य और मेरा दृढ़ मिशन है—”विकसित भारत अभियान” को साकार करना। हमारे राष्ट्र के महान विचारक, पं. दीनदयाल उपाध्याय जी ने “अंतोदय” का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है कि समाज के सबसे निचले स्तर पर रह रहे व्यक्ति की खुशहाली ही राष्ट्र की सच्ची प्रगति है। उनका यह विचार हमें यह सिखाता है कि किसी भी राष्ट्र की असली ताकत उसके अंतिम व्यक्ति की समृद्धि में छिपी होती है।
आज भी, जबकि हमारा देश अपनी ऐतिहासिक समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, कई क्षेत्रों में विकास की राह पर अग्रसर है। मुझे पूरा विश्वास है कि अगर हम पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के “अंतोदय” के सिद्धांत को आत्मसात करें और प्रत्येक नागरिक की भलाई को प्राथमिकता दें, तो हम भारत को एक विकसित राष्ट्र बना सकते हैं।
1. अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाना – समाज के सबसे गरीब और पिछड़े वर्ग तक सरकारी योजनाओं और सुविधाओं को पहुँचाना, ताकि कोई भी व्यक्ति विकास की प्रक्रिया से वंचित न रहे।
2. सामाजिक समानता – जातिवाद, एक ऐसी सामाजिक कुप्रथा है जिसने भारतीय समाज के ढांचे को गहरे रूप से प्रभावित किया है। हिंदुत्व, जो एक सांस्कृतिक और धार्मिक आंदोलन है, उसके आदर्शों और मूल्यों की नींव भी समाज की एकता, समानता और अखंडता पर रखी गई है। लेकिन जातिवाद के कारण हिंदुत्व को जिस तरह से नुकसान हुआ है, वह गंभीर और चिंतनीय है। धार्मिक एकता में विघटन: हिंदुत्व का उद्देश्य भारतीय समाज को एकजुट करना और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को संरक्षित करना है, लेकिन जातिवाद ने इस एकता में खलल डाला है। जातिवाद के कारण समाज के भीतर बंटवारा हुआ है और विभिन्न जातियों के बीच विरोध और संघर्ष बढ़ा है। इससे हिंदुत्व के सिद्धांतों की वास्तविकता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है, क्योंकि इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को समान दृष्टि से देखना है। जातिवाद ने हिंदुत्व के इस एकता के संदेश को कमजोर कर दिया है, जिससे समाज में असहमति और भेदभाव बढ़ा है।
मेरा मिशन: कृषि को उद्योग का रूप देकर ग्रामीणों का विकास
भारत का आधार उसकी खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर है। कृषि हमारे देश का सबसे बड़ा क्षेत्र है और हमारे देशवासियों की प्रमुख आजीविका का स्रोत है। लेकिन, आजादी के बाद से कृषि में उचित निवेश, तकनीकी नवाचार और समुचित प्रबंधन की कमी के कारण, हमारे किसानों को उतना लाभ नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिए था।
मेरे मिशन का मूल विचार है कृषि को उद्योग का रूप देकर ग्रामीणों का समग्र विकास करना। हमें कृषि को केवल एक पारंपरिक क्षेत्र से निकालकर एक सशक्त और लाभकारी उद्योग बनाना है, ताकि हर किसान को आधुनिक तकनीक, बेहतर संसाधन और नए अवसर मिलें।
मेरे मिशन के प्रमुख उद्देश्य:
1. कृषि में तकनीकी सुधार – कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों, जैविक खेती और स्मार्ट खेती को बढ़ावा देना ताकि कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो और किसानों की आय बढ़े।
2. कृषि को उद्योग में बदलना – किसानों को कृषि के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उपकरण निर्माण और अन्य कृषि आधारित उद्योगों में भी अवसर प्रदान करना।
3. ग्रामीण बुनियादी ढांचा – ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सड़कों, सिंचाई व्यवस्था, बिजली, और इंटरनेट सुविधाओं का विकास करना ताकि कृषि और ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।
4. कृषक शिक्षा और प्रशिक्षण – किसानों को कृषि में नवाचार, वित्तीय प्रबंधन और बाजार की जानकारी के लिए प्रशिक्षण देना ताकि वे आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर अपनी फसल की अधिकतम उपज प्राप्त कर सकें।
5. कृषक उत्पादों के लिए बेहतर बाजार – किसानों के उत्पादों के लिए अच्छे बाजारों का निर्माण करना, ताकि वे अपनी मेहनत का उचित मूल्य पा सकें और उनके उत्पाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बन सकें।
“कृषि को उद्योग का रूप देने से न केवल किसानों की जीवनशैली में सुधार होगा, बल्कि यह हमारे ग्रामीण समाज का समग्र विकास सुनिश्चित करेगा।”
शिक्षा
भारत में शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का संचय करना नहीं होना चाहिए, बल्कि यह एक सशक्त माध्यम होना चाहिए, जो समाज के प्रत्येक वर्ग को रोजगार के अवसरों से जोड़ सके। वर्तमान में शिक्षा प्रणाली और उद्योग के बीच गहरी खाई है, जिससे छात्रों को रोजगार मिलने में मुश्किलें आती हैं। इसलिए, शिक्षा को उद्योग आधारित बनाने से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि इससे हमारे देश को विकसित भारत के सपने को साकार करने में भी मदद मिलेगी।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे हैं, जिन पर मेरा ध्यान केंद्रित है:
1. कौशल आधारित शिक्षा प्रणाली
o शिक्षा को कौशल आधारित बनाना चाहिए ताकि छात्र न केवल अकादमिक ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि तकनीकी और व्यावसायिक कौशल भी हासिल कर सकें। जैसे-जैसे तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहे हैं, छात्रों को उस दिशा में प्रशिक्षण और कौशल देना चाहिए, जो रोजगार बाजार की जरूरतों के अनुकूल हो।
o संशोधित पाठ्यक्रम तैयार करना चाहिए जो उद्योग की आवश्यकताओं और प्रौद्योगिकियों के अनुसार हो। इससे छात्र उन क्षेत्रों में दक्ष होंगे, जहां उद्योगों की सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
2. इंडस्ट्री-एकेडेमिया पार्टनरशिप
o उद्योगों और शैक्षिक संस्थानों के बीच सशक्त साझेदारी स्थापित की जानी चाहिए। इससे उद्योगों को अपनी विशिष्ट जरूरतों के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की आपूर्ति आसानी से मिल सकेगी और छात्रों को भी वास्तविक जीवन के अनुभव मिलेंगे।
o प्रैक्टिकल प्रशिक्षण, इंटर्नशिप और औद्योगिक प्रोजेक्ट्स को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, ताकि छात्रों को रोजगार की तैयारी के लिए अनुभव प्राप्त हो सके।
3. मूल्यांकन और प्रमाणन के नए तरीके
o परंपरागत शैक्षिक प्रणाली को बदलकर प्रशिक्षण और प्रमाणन की प्रक्रिया को महत्व देना चाहिए। विभिन्न कौशलों और प्रशिक्षणों के लिए सर्टिफिकेशन, डिप्लोमा और डिग्री को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि छात्रों के पास उद्योगों में काम करने के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र हों।
o सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर ऐसे प्रमाणन कार्यक्रमों को विकसित करना चाहिए, जो छात्रों को न केवल शैक्षिक ज्ञान, बल्कि उद्योग आधारित प्रमाणन भी प्रदान करें।
4. किसी विशेष उद्योग क्षेत्र के लिए शिक्षा
o भारत में विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवाएँ, निर्माण, और ऊर्जा में रोजगार की बड़ी संभावनाएँ हैं। प्रत्येक राज्य और क्षेत्र में उस स्थान की आवश्यकताओं और उद्योगों के अनुसार शिक्षा कार्यक्रम तैयार करने चाहिए।
o उदाहरण स्वरूप, यदि किसी राज्य में कृषि उद्योग प्रमुख है, तो वहाँ कृषि संबंधित कौशल, तकनीक और उन्नत खेती पद्धतियों पर विशेष शिक्षा दी जानी चाहिए।
5. स्वतंत्र रोजगार अवसरों को बढ़ावा देना
o शिक्षा में उधमिता (Entrepreneurship) को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाना चाहिए। छात्रों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करना चाहिए और उन्हें स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए। यह छोटे व्यवसायों के लिए रोजगार का अवसर पैदा करने में मदद करेगा।
o इसके लिए सरकारी योजनाओं और वित्तीय सहायता को भी बढ़ावा देना चाहिए, ताकि युवा और नए उद्यमी अपने व्यापार को स्थापित कर सकें।
6. डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा के अवसरों का विस्तार
o डिजिटल शिक्षा का उपयोग बढ़ाना चाहिए, जिससे जो लोग दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें भी ऑनलाइन प्रशिक्षण और दूरी शिक्षा के माध्यम से उन्नत कौशल प्राप्त हो सके।
o सरकार को ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म और वर्चुअल क्लासरूम की सुविधा को और बेहतर बनाना चाहिए, ताकि छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा कहीं भी और कभी भी मिल सके।
7. नौकरी और उद्योगों के साथ मार्गदर्शन
o कैरियर काउंसलिंग और मार्गदर्शन को प्रत्येक शैक्षिक संस्थान में अनिवार्य किया जाना चाहिए। विद्यार्थियों को यह जानकारी मिलनी चाहिए कि उनके द्वारा सीखी गई शिक्षा और कौशल किस प्रकार के उद्योगों में उपयोगी हो सकते हैं।
o उद्योगों के विशेषज्ञों द्वारा छात्रों को कार्यशालाएँ, साक्षात्कार और प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए, ताकि वे नौकरी पाने के लिए पूरी तरह तैयार हों।
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मेरा मिशन भारत में शिक्षा को उद्योग आधारित बनाकर, हर नागरिक को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह न केवल छात्रों को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि हमारे देश को विकसित भारत की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाएगा। शिक्षा, कौशल और रोजगार के बीच सेतु का निर्माण करके, हम एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बना सकते हैं।
“अंतोदय” के विचार के तहत, जब हम समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को उठाएंगे, तब ही हम भारत को एक सशक्त और विकसित राष्ट्र बना सकेंगे।
मैं इस मिशन के प्रति पूरी तरह समर्पित हूं और इसे साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करूंगा। मेरा विश्वास है कि यदि हम सब मिलकर एकजुट होकर काम करेंगे, तो हम एक विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं, जिसमें हर व्यक्ति को बराबरी का अवसर मिलेगा और हर भारतीय का जीवन बेहतर होगा।
The purpose of my life and my unwavering mission is to bring the vision of a ‘Developed India Campaign’ to fruition
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